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रहस्यमाई चश्मा भाग - 59





मीमांसा ने कहा मुझे अपने सुहाग कि समझ नियत और निष्ठा पर भरोसा है जो कभी भी विकृत समाज या मानसिकता के प्रभाव का शिकार हो ही नही सकता है मुझे खुशी है कि अपकी परिवरिश ऐसे परिवेश में एव ऐसे नेक इंसान कि छत्र छाया में हुई है जो कभी भी भ्रमित नही होने देगी सदा आचरण कि पवित्रता कि शक्ति देते हुए आपको सदमार्ग पर चलने का नैतिक साहस एव शक्ति प्रदान करती रहेगी यही तो सच्चाई है बाबू जी मंगलम चौधरीं जी कि जो आपके परिवरिश का महत्वपूर्ण आधार है और इतना कहते हुए मीमांशा ने पति को स्नेह के ज्वार के आगोश में समेट लिया और बोली आप सदा ही संस्कारो कि दृढ़ बुनियादों के प्यार का संसार एव परिवरिश का पर्याय बन दुनियां को रिश्तो की एक नए आयाम अध्याय से परिचित करतवाते हुये दिशा दृष्टि देंगे यही मंगलम चौधरीं कि परिवरिश एव मेरे प्यार कि सच्चाई है,,,,


सिंद्धान्त अंतर्मन से बोझ मुक्त एव प्रसन्न महसूस करता हुआ बोला मीमांसा जीवन मे अच्छे लांगो का साथ होना बहुत आवश्यक है जो भटकने से बचाते है तुम तो मेरी आत्मा की आवाज और नेत्रों कि दृष्टि हो तो बाबू जी शक्ति का संचार कर्दब और जग्गू ज्यो ही मंगलम चौधरीं से मिल कर लौटने लगे रास्ते मे उन्हें बड़ी बेसब्री से खोजता हुआ महादेव रघु चिंता जो चौधरीं के चीनी मिल एव जुट मिलो के श्रमिक नेता थे मीले और उन्होंने कर्दब एव जग्गू से बताया कि नत्थू जबसे तुम लोग मंगलम चौधरीं से मिलने के लिए के लिए निकले उंसे तुम दोनों कि वास्तविकता मालूम हो गयी और उसने तुम दोनों के पीछे अपने आदमी भद्र और तूफानी को लगा दिया तुम दोनों की मंगलम चौधरीं से मुलाकात का पूरा व्योरा भद्र और तूफानी ने नत्थू को बता दिया नत्थू ने तुम दोनों और इमिरीतिया जो नत्थू के बेटे के जनम के समय कि गवाह है को एक साथ मौत के घाट उतारने का फरमान जारी किया है और ज्वाला तीखा अंगार सुलखान को तुम तीनो को मौत के घाट उतारने कि जिम्मेदारी दे रखी है और ज्वाला तीखा सुलखान तुम तीनो को यमराज कि तरह खोज रहे है,,,,,


 क्योकि नत्थू को शक नही यकीन है कि तुम लोंगो के जिंदा रहते उसकी पोल पट्टी खुल सकती है और उसका अपना खून सिंद्धान्त तो उसका दुश्मन बनेगा ही उसके वर्षो के बदले कि श्रृंगला भी समाप्त हो जाएगी जिसे उसने यशोवर्धन के जड़ के समूल नाश के सौगंध के साथ शुरू किया था जिसकी जिंगरी यशोवर्धन परिवार कि वर्षो कि चाकरी के कारण सुलग रही थी और वह प्रतिशोध पर प्रतिशोध लेता जा रहा है अतः कर्दब और जग्गू इमिरीतिया के साथ अपनी जान बचाओ ।
महादेव रघु एव चिंता की बात सुनकर जग्गू और कर्दब को कोई आश्चर्य नही हुआ क्योकि दोनों ही नत्थू के जाने कितने ही असामाजिक एव आपराधिक कार्यो में सहयोगी थे उन्हें यह तो अंदाज़ा था ही कि नत्थू बेहद खतरनाक इंसान है जिसके चंगुल में फसाना आसान है तो निकलना मुश्किल मौत को ही दावत देना है नत्थू न जाने कितने ही वफादारों की बलि दे चुका था रघु एव चिंता कि सूचना व्यर्थ नही थी,,,,


 यह विश्वास भी जग्गू कर्दब को था लेकिन क्या करे क्या न करे सवाल यह था रघु चिंता जग्गू कर्दब एक साथ जग्गू के घर पहुंचे और इमिरीतिया से जल्दी से कुछ आवश्यक कपड़े लेकर चलने को कहा इमिरीतिया ने प्रश्न किया क्यो हम अपने पुश्तैनी घर को छोड़कर भले ही छोपडी है जा रहे है जग्गू बोला बहस करने का समय नही है जितनी जल्दी हो सके हमे दरभंगा एव नत्थू की पहुंच से दूर निकलना ही होगा इमिरीतिया ने भी कोई सवाल करना उचित नही समझा और जल्दी जल्दी सिर्फ दो चार कपड़े ही लेकर साथ चल पड़ी कर्दब जग्गू चिंता रघु महादेव के साथ पाँचों पैदल ही निकले दिन रात चलते जाते रास्ते मे जो कुछ मांगने से मिल जाता वही खाते इधर अंगार और सुलखान कर्दब और जग्गू को खोजते हुए जब जग्गू के घर पहुंचे उनकी मुलाकात गांव के खदेरू से हुई खदेरू ने उन्हें बताया कि जग्गू के साथ चार अन्य लोग थे,,,,



जिनका हुलिया बयान किया अंगार और सुलखान को समझते देर नही लगी कि चारो कर्दब रघु चिंता और महादेव ही थे खदेरू से उन पांचों के जाने की दिशा पूछी और उनके पीछे पीछे उनकी तलाश में चल दिये इधर रघु महादेव चिंता ने कर्दब और जग्गू से कहा हम लोंगो को अलग अलग होकर चलना चाहिए क्योंकि एक साथ छ लोंगो के चलने से शक और भी बढ़ेगा और सुलखान और अंगार के लिए हम लांगो का पता लगाना हम आसान होगा अतः कर्दब अलग जाए इमिरीतिया औऱ जग्गू एक साथ एव हम तीनों एक साथ निकलते है ऐसा करने से अंगार और सुलखान को कोई शक भी नही होगा रघु महादेव चिंता की बात वास्तविकता के सापेक्ष थी,,,,


 अतः जग्गू इमिरीतिया एक साथ कर्दब अकेला एव चिंता महादेव रघु एक साथ निकले इधर अंगार और सुलखान मौत का साया बनकर उनके पीछे पीछे भूखे भेड़िए की तरह खोज रहे थे सुलखान ने अंगार से कहा कि अब तक जग्गू और कर्दब इमिरीतिया ही उस्ताद की सच्चाई को जानते थे अब चिंता रघु और महादेव तो जानते ही है इसीलिए भागे भागे फिर रहे है जब उस्ताद हम लांगो को कर्दब इमिरीतिया जग्गू को मारने के लिये समझा रहे थे तभी रघु महादेव चिन्ता ने सारी बाते सुन ली तीनो उस्ताद के हुजूर में हाजिरी देने जो जा रहे थे कही ऐसा न हो कि उस्ताद हम लोंगो को भी मतलब निकल जाने के बाद मौत के हवाले ना कर दे अंगार ने कहा सुलखान उस्ताद ऐसी घुमावदार जलेबी है कि पहले बहुत अच्छा लगता है,,,,,,


लेकिन एक बार उसके जाल में फंस जाने के बाद मौत ही अंतिम रास्ता होता है उस्ताद के चंगुल से निकलने का यही सही है कर्दब और जग्गू के साथ इमिरीतिया ने क्या नही किया उस्ताद के कुकर्मों में शरीक होकर अब देखो उस्ताद का कहर उन पर टूट पड़ा है और जान बचाने को लाले पड़े है ।कर्दब को मंगलम चौधरीं की बात बार बार याद आ रही थी जब उन्होंने चलते समय कहा था कि तुम लोग खुद को बचाओ,,,,,



इमिरीतिया छिपने और भागने से आजिज आकर जग्गू से बोली जाने कौन सी मनहुस सुबह थी जब हमने एक औरत जी शैतान नत्थू कि व्यहता थी कि जान बचाने में जुटे उसकी जान तो बची नही आफत गले जीवन भर के लिए पड़ गयी मुहं छिपाए जान बचाने के लाले पड़े है रघु चिंता महादेव अलग परेशान मारे मारे फिरते सिंद्धान्त बाबूजी मंगलम चौधरीं से मिलने के बाद पुनः मिलो में चल रही उथल पुथल के समाधान के लिए कलकत्ता पहुंचा लेकिन इस बार उसके सामने कर्दब जग्गू ना होकर नत्थू स्वंय था एव उसका सहयोगी था,,,,,,



जारी है




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3 Comments

Babita patel

05-Sep-2023 12:27 PM

Nice

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KALPANA SINHA

05-Sep-2023 11:57 AM

Amazing

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